शुद्ध निर्बिघ्न स्थल, नदी तट, देबालय, पर्बत, बन या गौशाला अथबा अपने स्थान में ही नया रक्तबर्ण आसन, गुड़हल पुष्प, गणपति की एक छोटी बारह अंगुल से छोटी काले रंग की पथर प्रतिमा जो बरद मुद्रा में हो । “ॐ भू गणपतये नम:”, मंत्र से जल, पुष्प, रक्त चन्दन, कुंकुम नामक इत्र, रक्त आसान, काठ का पीड़ा या पटरा, धूप, दीप, नैबेद्य, यज्ञोपबीत, पेयजल, दक्षिणा बस्त्र ताम्बूल, पूंगीफल (सुपारी) लड्डू का भोग ... https://www.aghortantra.com/bhumi-bhavan-sadhana/