बैसे तो कर्णपिशाचि साधना (karnapishachi sadhana) के स्वतंत्र मंत्र हैं, परन्तु कर्णपिशाचि का आह्वान कहीं-कहीं इष्ट मंत्र ब ईष्ट देब की आन देकर, अर्थात् इष्ट मंत्र के साथ भी किया जाता है । इससे कर्णपिशाचि जल्दी आती है और किसी का नुकसान भी नहीं करती है ।
1) मंत्र : “ओम कर्णपिशाची अमोघसत्य बादिनी मम कर्णे अबतर अबतर अतीतानागतं बर्तमानं दर्श्य दर्श्य एहि ह्रीं कर्णपिशाचिनी स्वाहा ।”
... https://www.aghortantra.com/karnapishachi-sadhana/