बिद्यादात्री यक्षिणी साधना में बिधि बिधान का बहुत महत्व है । यक्षिणी साधक को साधना काल में माँस, मदिरा एबं ताम्बूल का त्याग कर देना चाहिए तथा अपने शरीर से किसी भी अन्य ब्यक्ति के शरीर का स्पर्श नहीं होने देना चाहिए ।
यक्षिणी साधन (Bidya Daatri Yakshini Sadhana) की क्रिया प्रतिदिन प्रात:काल नित्यकर्म, स्नानादि से निबृत हो, किसी एकांत स्थान में मृगचर्म पर बैठाकर करनी चाहिए । जब तक सि... https://www.aghortantra.com/bidya-daatri-yakshini-sadhana/