मंत्र : {ओम नम: देबी कामाख्या ।
त्रिशूल खड्ग हस्त पाधा ।
पाती गरुड ।
सर्ब लखी तू प्रीतये ।
समांगन ।
तत्व चिंतामणि ।
नरसिंह चल-चल ।
खीण कोटि कात्यायनी तालब प्रसाद ।
के ओम हों हों कूं त्रिभुबन चालिया ।
चालिया स्वाहा ।}
Smaran Shakti Badhane Ka Kamakhya Mantra Vidhi :
उपर्युक्त मंत्र पढते हुए बाल के टुकडों के साथ ब्राह्मी और गाय के घी का हबन करें, तो दूर बैठे ब्यक्ति की भी ... https://www.aghortantra.com/smaran-shakti-badhane-ka-kamakhya-mantra/